Property Documents 2025 – आजकल हर किसी का सपना होता है कि उसका खुद का घर हो, एक ऐसी जगह जिसे वो अपना कह सके। लेकिन सपनों का घर खरीदते वक्त अगर जरूरी कागजातों पर ध्यान न दिया जाए तो ये सपना बाद में सिरदर्द बन सकता है। बहुत से लोग जल्दबाज़ी या जानकारी की कमी के कारण ऐसी प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं जिसमें बाद में कानूनी झंझट निकल आता है।
अगर आप भी प्रॉपर्टी खरीदने का सोच रहे हैं तो थोड़ा रुकिए और पहले इन ज़रूरी कागज़ों की जानकारी ले लीजिए। ये सावधानी आपको लाखों की मुसीबत से बचा सकती है।
1. रेरा सर्टिफिकेट – शुरुआत यहीं से करें
जब भी किसी प्रोजेक्ट में निवेश करने का सोचें, सबसे पहले देखें कि वो प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड है या नहीं। रेरा यानी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी, जो 2016 में लागू हुआ था, इसका मकसद बिल्डर और खरीदार के बीच पारदर्शिता बनाए रखना है।
अगर प्रोजेक्ट रेरा में पंजीकृत है तो इसका मतलब है कि बिल्डर ने सभी कानूनी नियमों का पालन किया है और आपकी पूंजी सुरक्षित है। रेरा नंबर वेबसाइट पर ऑनलाइन चेक किया जा सकता है।
2. सेल एग्रीमेंट – सब कुछ इसी में लिखा होता है
यह वह दस्तावेज है जो बताता है कि आप क्या खरीद रहे हैं, कितने में खरीद रहे हैं, पैसे कब देने हैं और कब्जा कब मिलेगा। इसमें यह भी लिखा होता है कि अगर बिल्डर तय समय पर कब्जा नहीं देता तो क्या होगा।
यही कागज बैंक भी मांगते हैं जब आप लोन लेते हैं। इसलिए इसे हल्के में न लें और अच्छे से पढ़ें। अगर समझ न आए तो किसी जानकार की मदद लें।
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3. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट – क्या आप उस घर में रह भी सकते हैं
यह सर्टिफिकेट स्थानीय नगर निकाय जारी करता है और यह साबित करता है कि इमारत सभी कानूनों के तहत बनाई गई है और वहां रहना सुरक्षित है।
अगर आपके पास यह नहीं है तो हो सकता है कि आपको बिजली या पानी का कनेक्शन मिलने में दिक्कत हो। इसलिए कब्जा लेने से पहले ये सर्टिफिकेट जरूर देख लें।
4. एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट – कोई कर्ज या कानूनी विवाद तो नहीं
इससे पता चलता है कि जिस प्रॉपर्टी को आप खरीद रहे हैं वह किसी बैंक या संस्था के पास गिरवी तो नहीं रखी गई। साथ ही यह भी पता चलता है कि उस पर कोई कानूनी मुकदमा या विवाद तो नहीं चल रहा।
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ये सर्टिफिकेट रजिस्ट्री ऑफिस से मिल जाता है और इसे जरूर लेना चाहिए ताकि बाद में कोई परेशानी न हो।
5. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट – सभी विभागों से हरी झंडी
NOC यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट उन विभागों से लिया जाता है जो प्रॉपर्टी से जुड़े होते हैं – जैसे पानी, बिजली, नगर निगम, हाउसिंग सोसाइटी आदि।
अगर ये NOC नहीं लिया गया है तो बाद में आपको इन सुविधाओं को लेने में दिक्कत आ सकती है। इसलिए रजिस्ट्री से पहले यह चेक कर लें कि सभी जरूरी NOC मिल चुके हैं या नहीं।
6. टाइटल डीड – मालिकाना हक किसका है, यह जानना जरूरी
यह सबसे जरूरी दस्तावेज होता है। इससे पता चलता है कि प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन है, और क्या बेचने वाले के पास इसे बेचने का अधिकार है या नहीं।
इसमें पूरी हिस्ट्री होती है – किससे किसने खरीदा, कितनी बार खरीदा गया और अभी किसके नाम पर है। किसी भी प्रॉपर्टी की जांच इसी दस्तावेज से शुरू होनी चाहिए।
7. अन्य जरूरी डॉक्युमेंट्स जिन पर ध्यान दें
- भूमि उपयोग प्रमाणपत्र: ये देख लें कि जमीन आवासीय है या नहीं। अगर किसी कमर्शियल ज़मीन पर घर बना है, तो बाद में परेशानी हो सकती है।
- प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें: प्रॉपर्टी पर टैक्स बकाया तो नहीं, इसकी जांच कर लें।
- पिछले मालिकों की डीड्स: अगर प्रॉपर्टी रीसैल है तो सभी पुराने मालिकों के दस्तावेज भी चेक करें।
थोड़ी सी सावधानी बचा सकती है बड़ी परेशानी से
घर खरीदना जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला होता है। इसमें थोड़ी सी गलती आपके सालों की कमाई को डुबो सकती है। इसलिए हर दस्तावेज को ध्यान से जांचें, हो सके तो किसी वकील या प्रॉपर्टी एक्सपर्ट की मदद लें।
और हां, रजिस्ट्री हमेशा पूरे कागजात के बाद ही कराएं और पेमेंट हमेशा बैंकिंग तरीके से करें, जिससे भविष्य में किसी धोखाधड़ी से बच सकें।
घर या ज़मीन खरीदना सिर्फ एक सपना नहीं, एक जिम्मेदारी भी है। सही जानकारी और सभी कागजातों की जांच से आप ठगी और विवाद से बच सकते हैं। रेरा सर्टिफिकेट से लेकर टाइटल डीड तक – हर दस्तावेज का होना जरूरी है। सतर्क रहें, सोच समझकर निवेश करें और अपने सपनों का घर खुशी से खरीदें।
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