अब चेक बाउंस किया तो बचना मुश्किल! सीधे होगी जेल – सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला Cheque Bounce Rule

By Prerna Gupta

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Cheque Bounce Rule

Cheque Bounce Rule – अगर आप भी कभी किसी को चेक देकर सोचते हैं कि “देख लेंगे”, तो अब संभल जाइए। क्योंकि अब चेक बाउंस करना सिर्फ एक छोटी सी गलती नहीं, बल्कि एक बड़ा अपराध बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर बेहद सख्त रवैया अपनाया है और ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यानी अगर आपने किसी को चेक दिया और वह बाउंस हो गया, तो सीधे कोर्ट-कचहरी की नौबत आ सकती है और सजा भी तय मानी जाएगी।

क्या होता है चेक बाउंस?

जब कोई व्यक्ति या कंपनी किसी को पेमेंट देने के लिए बैंक चेक देता है और वह चेक बैंक में जाकर पास नहीं होता, तो इसे चेक बाउंस कहा जाता है। इसकी कई वजहें हो सकती हैं – जैसे अकाउंट में पैसे न होना, गलत सिग्नेचर, चेक की एक्सपायरी या जानबूझकर स्टॉप पेमेंट कर देना।

पहले ऐसे मामलों में सालों लग जाते थे, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि जल्दी फैसला हो और दोषी को सज़ा मिले।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि अब चेक बाउंस मामलों में ढील नहीं दी जाएगी। कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक:

  • तेजी से सुनवाई होगी: अब ऐसे केस को सालों तक नहीं घसीटा जाएगा। कोशिश होगी कि जल्द से जल्द निपटा दिया जाए।
  • सीधी सजा: अगर आरोपी पर चेक बाउंस का आरोप साबित हो जाता है, तो जेल और जुर्माना दोनों ही दिए जा सकते हैं।
  • ऑनलाइन सुनवाई भी संभव: अब गवाहों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी की जा सकेगी, जिससे समय की बचत होगी।
  • समझौते की छूट: अगर दोनों पक्ष आपस में समझौता करना चाहें, तो कोर्ट उसकी इजाज़त देगा लेकिन एक तय समय सीमा के अंदर।

कानून क्या कहता है?

भारतीय कानून के मुताबिक, चेक बाउंस एक आपराधिक मामला है और इसे Negotiable Instruments Act की धारा 138 के तहत दर्ज किया जाता है। इसमें:

  • दोषी को 2 साल तक की जेल, या
  • चेक की राशि का दोगुना जुर्माना, या
  • दोनों सजाएं दी जा सकती हैं।
  • शिकायतकर्ता को चेक बाउंस होने के 30 दिनों के भीतर नोटिस भेजना होता है।
  • नोटिस के बाद 15 दिन के अंदर भुगतान नहीं होता, तो केस दर्ज हो सकता है।

किन वजहों से चेक बाउंस होता है?

  1. खाते में पैसे नहीं होना – सबसे आम वजह।
  2. गलत सिग्नेचर – जारीकर्ता का हस्ताक्षर मैच नहीं होता।
  3. चेक पुराना होना – चेक 3 महीने के अंदर जमा करना जरूरी होता है।
  4. ओवरराइटिंग या कटिंग – तकनीकी गलतियों से भी चेक रिजेक्ट हो सकता है।
  5. स्टॉप पेमेंट – जानबूझकर पेमेंट रोक देना भी कानून की नजर में गलत है।
  6. खाता बंद होना – अगर खाता बंद हो गया और उसी से चेक जारी किया गया।

अगर चेक बाउंस हो जाए तो आरोपी क्या कर सकता है?

  • अगर गलती मानते हैं तो समय रहते सेटलमेंट कर लें।
  • बैंक स्टेटमेंट और अन्य डॉक्यूमेंट से स्थिति साफ करें।
  • अगर कोई असली तकनीकी या बैंक की गलती है, तो उचित कानूनी तर्क पेश करें।
  • कानूनी सलाह लें और कोर्ट में अपना पक्ष सही तरीके से रखें।

आम लोगों को क्या सावधानी रखनी चाहिए?

  1. चेक देने से पहले पक्का करें कि खाते में पर्याप्त बैलेंस है।
  2. चेक पर सही सिग्नेचर और तारीख डालें।
  3. किसी को चेक देने के बाद उसकी कॉपी अपने पास रखें।
  4. अगर चेक बाउंस होता है, तो मामले को हल्के में न लें, तुरंत कानूनी सलाह लें।
  5. अगर डिजिटल पेमेंट का विकल्प हो, तो उसे चुनना बेहतर है।

नए निर्देश आम लोगों के लिए क्यों जरूरी हैं?

कई बार लोग किसी को चेक दे देते हैं यह सोचकर कि बाद में पैसे डाल देंगे, लेकिन अब यह आदत खतरनाक साबित हो सकती है। कोर्ट का ये फैसला उन लोगों के लिए चेतावनी है जो चेक देने में लापरवाही करते हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न केवल धोखाधड़ी को रोकेगा, बल्कि ईमानदार लेन-देन को भी बढ़ावा देगा।

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अब वक्त आ गया है कि चेक को हल्के में न लिया जाए। एक छोटी सी गलती आपको जेल तक पहुंचा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त फैसले के बाद अब चेक बाउंस के मामलों में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। अगर आप या आपके जानने वाले किसी को चेक देते हैं, तो पूरी सावधानी बरतें – नहीं तो लेने के देने पड़ सकते हैं।

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